Translate

Saturday 11 September 2021

गोल्डन आवर में लोगों को मदद पहुंचाएं


 

गोल्डन आवर में लोगों को मदद पहुंचाएं

किसी बीमारी से जूझ रहे या हादसे का शिकार हुए व्यक्ति को इमरजेंसी के दौरान जो पहली चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाती है, उसे फर्स्ट एडकहते हैं। फर्स्ट एड यानी प्राथमिक चिकित्सा का मकसद पीड़ित को उचित चिकित्सकीय सहायता मिलने तक कुछ साभधानियों के साथ तत्काल स्थानीय सहायता प्रदान करना समय पर दी गई प्राथमिक चिकित्सा से जान तो बचती ही है, गंभीर विकलांगता से बचाने में भी मदद मिलती है। 

क्यों जरूरी है प्राथमिक चिकित्सा 

1 बीमार या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की जान बचाई जा सके।

2 पीड़ित को रक्तस्राव या संक्रमण से बचाया जा सके।

3 सांस से जुड़ी किसी रूकावट को दूर करते हुए पीड़ित को सामान्य रूप से सांस लेने में मदद हो सके 

4 पीड़ित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना।



सड़क दुर्घटना से जुड़ी गंभीर स्थितियां 

सड़क दुर्घटनाएं आप्रकृतिक मौतों का सबसे प्रमुख कारण हैं। कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 66-67 प्रतिशत दुर्घटनाएं तेज गति से वाहन चलाने के कारण होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, मोबाइल पर बात करना 23 प्रतिशत दुर्घटनाओं का कारण है। अन्य कारणों में शराब पीकर गाड़ी चलाना, झपकी लग जाना आदि हैं। सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है, इसके लिए लोगों में यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। परकोई दुर्घटना हो जाती है तो फिर बिना घबराए, शांत रहते हुए सही उपचार की जानकारी सब को होनी ही चाहिए।  

अत्यधिक रक्तस्राव (ब्लीडिंग) : जब त्वचा कट जाती है तो उस हिस्से की रक्त नलिकओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण  खून बहने लगता है। अगर खून कम निकल रहा है तो आप घाव को आसानी से साफ कर लेते हैं, पर ज्यादा खून निकलने पर शरीर शॉक में जा सकता है। ऐसे में चक्कर आना, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ होना, हृदय की धड़कनें बढ़ जाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सिर, पेट व छाती की अंदरूनी चोट में खून निकलने से स्थिति गंभीर हो सकती है।   

क्या करें :

 1  चिकित्सीय सुविधा पहुंचने तक घायल व्यक्ति को नीचे लेटा दें।  घाव पर हल्के हाथ से दबाव बनाए रखें।

संभव हो सके तो पैरों को दिल के लेवल से थोड़ा ऊंचा कर दें, ताकि प्रमुख अंगों तक रक्त संचरण हो सके।

3 घाव को छुए बिना उसे साफ पानी से धो लें, एंटी-सेप्टिक स्प्रे लगा दें और हल्की सूती पट्टी से बांध लें। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा। 

4 कोई चीज घाव में गहरी धंसी है तो उसे बाहर न निकालें। बड़े घाव को साफ न करें।

5 ज्यादा खून बहने के कारण शरीर ठंडा पड़ रहा है तो व्यक्ति को किसी कपड़े से ढक दें। 

सिर की गंभीर चोट (हेड इंजुरी) :

सिर की चोट के अधिकतर मामले सड़क दुर्घटनाओं के कारण होते हैं। आंकड़ों की मानें तो सिर की गंभीर चोटों के 85 प्रतिशत मामलों में लोगों की मृत्यु हो जाती है। कुछ लोगों को लंबे उपचार की जरूरत पड़ती है, तो कुछ कोमा में चले जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार, अस्पतालों में लंबे समय तक भर्ती रहने वालों में से लगभग 20-30 प्रतिशत सिर व रीढ़ की हड्डी की चोट से पीड़ित होते हैं। वैसे, अधिकतर मामलों में खोपड़ी मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त होने से बचाती है, पर बड़ी दुर्घटनाओं में मस्तिष्क भी चपेट में आ जाता है।

हड्डी टूटना :

 हड्डियों पर जब बाहर से अधिक दबाव या बल पड़ता है, तो वो इसे सह नहीं पातीं और टूट जाती हैं। जब हड्डी के साथ त्वचा भी क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो उसे ओपन फ्रेक्चर कहते हैं। पर, जब त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है तो उसे क्लोज्ड फ्रेक्चर कहते हैं। अगर दुर्घटना गंभीर है, तो हड्डियां टूटने के अलावा दूसरी गंभीर चोटें भी हो सकती हैं।

क्या करें :

1 तुरंत आपातकालीन नंबर पर फोन करें।   

2 घायल व्यक्ति को ज्यादा हिलाएं-डुलाए नहीं।

3 जहां से खून निकल रहा हो, वहां साफ कपड़े से दबाव डालें। अगर हड्डी टूट कर बाहर आ गई हो तो उसे शरीर के भीतर न धकेलें, न अलाइन करने की कोशिश करें।

4 अगर हड्डी टूटी है, तो कुछ भी खाएं-पिएं नहीं।   

शरीर का कोई भाग अलग हो जाना :

चिकित्सा के क्षेत्र में विकास के कारण कुछ मामलों में शरीर से अलग हुए अंग को जोड़ना भी संभव हो पाया है। अगर शरीर का कोई अंग कटकर अलग हो गया है तो उसे दुर्घटना स्थल पर न छोड़ें। अमेरिकन अकेडमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन्स ने इससे जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

क्या करें :

1 अगर संभव हो तो घाव और उस अंग को साफ पानी से धो लें, ताकि धूल-मिट्टी निकल जाए। साबुन या स्क्रब का इस्तेमाल न करें।

2 उसे साफ एअर टाइट प्लास्टिक बैग में रखें। इस बैग को बर्फ में रखकर अस्पताल ले जाएं। कटे हुए अंग को बर्फ में सीधे न रखें। इससे अंग खराब हो सकता है।

3 अगर कटे अंग को पुन: जोड़ना संभव है, तो पहले 12 घंटे बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।

सांस लेने में दिक्कत:

सबसे पहले यह जांचें कि पीड़ित व्यक्ति ठीक से सांस ले पा रहा है या नहीं। मुंह को खुला रखें। उंगलियों की मदद से या फिर पीठ को थपथपाते हुए गला साफ रखने में मदद करें। अगर पीड़ित ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है, बेहोश है या उसकी नाड़ी नहीं चल रही है, तो जरूरी है कि उसे सीपीआर (कार्डियो पलमोनरी रेसससिटेशन) दिया जाए। इसमें मुंह से सांस देना और 30:2 (कम्प्रेशन:वेंटिलेशन) की दर से छाती को दबाना शामिल है। अगर आप सीपीआर देने में प्रशिक्षित नहीं हैं, तब भी छाती को लगातार दबाते रहें, जब तक मूवमेंट दिखाई न दे या चिकित्सा सुविधा न मिल जाए। 

जलना :

 किसी दुर्घटना के दौरान, कारखाने में काम करते हुए या खाना बनाते समय, आग की लपटों के संपर्क में आना, जलने के कुछ प्रमुख कारण हैं। अगर जख्म मामूली हैं, तो ज्यादा छेड़छाड़ न करें, लेकिन गंभीर रूप से जलने पर विशेष देखभाल जरूरी हो जाती है। 

क्या करें :

1  अगर त्वचा थोड़ी झुलस गई है, तो वहां पर 10 मिनट तक ठंडा पानी डालें। बर्फ का ठंडा पानी न डालें।  

2  मामूली रूप से जले हुए स्थान पर बर्फ लगा सकते हैं, पर बर्फ को सीधे त्वचा पर न मलें। सूती कपड़े में लपेट कर सेंक दें। 

3 गंभीर रूप से जले जख्मों से अगर कपड़ा या कोई दूसरी चीज चिपक गई हो तो उसे खींच कर न निकालें। न ही जख्मों पर कोई तेल, क्रीम या मल्हम लगाएं।

4 जलने से होने वाले फफोलों को न फोड़ें, उन्हें अपने आप ठीक होने दें।

5  गीले जख्मों पर पट्टी न बांधें, इससे संक्रमण फैल सकता है। जख्मों को थोड़ा सूखने दें और पीड़ित को तुरंत  अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करें। 

 

हमारा देश सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में सबसे आगे है। इसके तीन प्रमुख कारण हैं- पहला, यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता न होना। दूसरा, लोग प्राथमिक चिकित्सा के महत्त्व को नहीं समझते। तीसरा, सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों की सहायता करने में हिचकिचाहट। अगर दुर्घटना के बाद गोल्डन आवर में सही उपचार मिल जाए तो 90 प्रतिशत जिंदगियां बच सकती हैं। दुर्घटना के बाद के एक घंटे के समय को गोल्डन आवर कहते हैं।

 

प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स 

 

हमें घर और गाड़ी में फर्स्ट एड किटजरूर रखनी चाहिए। लंबी यात्रा के समय भी इसे अपने साथ रखें। एक सामान्य प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स में निम्न चीजें होनी चाहिए। 

1 जीवाणु रहित छोटी, मध्यम और बड़े आकार की सूती पट्िटयां ’  तिकोनी पट्टी  ’   सेफ्टी पिन्स ’  क्रेप की लपेटने वाली पट्िटयां ’  डिस्पोजेबल जीवाणु रहित दस्तानें ’  कैंची ’  छोटी और मध्यम आकार की धातु की चिमटियां ’  अल्कोहल रहित घाव साफ करने के लिए डेटॉल या सेवलॉन ’  चिपकाने वाले टेप 2  थर्मामीटर, विशेषकर डिजिटल ’  स्किन क्रीम ’  एंटीसेप्टिक क्रीम ’  पेन किलर, जैसे- पैरासिटामोल, एस्परिन ’  एंटीथिस्टामिन की गोलियां ’  डिस्टिल्ड वाटर, घावों और आंखों को साफ करने के लिए ’  एक फर्स्ट एड गाइड इलेक्ट्रॉल

Courtsey-Hindustan


No comments:

Post a Comment